Saturday, October 1, 2011

जाने दिल (क्या) चाहता है !

जाने दिल क्या चाहता है
क्यों मेरी पहचान खोना चाहता है 
कुछ पल के लिए नई जिंदगी चाहता है
ना जाने क्यों एक नई पहचान चाहता है.
    
   कभी जिंदगी  से पंख मांगता है ,
   बार २ यही कहता है , जज्बा नहीं है है आसमान छूनें का
  पर एक बार अपनी उड़ान की उचाई नापना चाहता है
  एक बार  इस आसमान की लम्बाई भापना चाहता है
  आदत नहीं है हदें तोड़ने की  पर ,  एक बार उड़ना अपनी उड़ान की हद देखाना चाहता है.

 कभी उस ओस बूँद की पहचान जिंदगी से मांगता है ,
 आदत है चोट खाने की पर , आसमान से गिरने का एहसास पाना चाहता है
 फिर चुपचाप फूलो  की पंखियो में सोना चाहता है.
 भीड़ में खोने का एहसास तो है, पर एक बार नज़रो क सामने खोना चाहता है.

कभी जिंदगी से कुछ पल हवा की   जिंदगी से  मांगता है
सडको पे  चला है कई बार , इस बार खुद क रास्ते  बनाना चाहता है
दिखा तो है कई बार , एक बार बिन दिखे  अपना एहसास कराना चाहता है
चिल्लाया है कई बार , इस बार कानो में जाकर  गुनगुनाना  चाहता है.
दौड़ा है कई बार , एक बार मस्त,झूमते हुए राहों पे चलना चाहता है.

कभी जिंदगी से बेवकूफ बचपन मांगता है 
हंसा है कई बार , पर वो भोली सी हंसी फिर मांगता है
तारों  को देखता है कई बार , इस बार उन्होंने गिनने की हिमाकत करना चाहता है
पता है सचाई का , पर फिर से चन्दा को मामा और परियो की दुनिया में रहना  चाहता है
एक बार फिर बादलों  में चेहरे ढूँढना चाहता है, तारों में फिर चमचा ढूढ़ना चाहता है
इस बार हर झूठ को सच मानना चाहता है, एक बचपन में फिर जीना चाहता है.
  
कभी जिंदगी से फूलों की पहचान  चाहता है.
एक बार अपनी खुशबू  से बहार महकाना चाहता है
तितलियों क्या  कहती चुपके से फूलों के कानो में सुनना चाहता है
मंडराते भवरों से फोलों क आसपास रहने का कारन जानना चाहता है.
ये २ पल की जिंदगी फूलों की च हता है.

ना जाने ये दिल  क्या कहता है 
छोटी मगर एक बार जिंदगी मांगता है 
जीने क लिए जी लेते है सभी , ये एक बार जिंदगी को जीना चाहता है !