Saturday, March 31, 2012

ek panchi

एक पंछी घरोंदा  छोड़ चला,
  आज नया घर बनाने ,
अपना ही घरोंदा तोड़ चला.
एक पंछी घरोंदा छोड़ चला ।
  ज़िन्दगी के समंदर में ,
  अपनी सपनो की नईया ले चला.
  एक पंछी घरोंदा छोड़ चला।
     कभी रहता था जिस आशियानें में ,
    आज नादान उसे पराया बनाने चला.
    एक पंछी घरोंदा छोड़ चला.
      उड़ना सिखा था , जिनके सहारे
    आज उन्ही सहरो को, अकेला छोड़ चला.
     एक पंछी घरोंदा छोड़ चला.।



3 comments:

  1. Very touching lines Bade bhai.. :) Thank you, you inspired me putting my lines into blogs.. :)

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